Sarfaraz Khan And Amol Mazumder: सरफराज खान रुक नहीं रहे हैं. उनके बल्ले से आग निकल रही है, अगर ऐसा कहा जाए तो इसे क्रिकेट की भाषा में कोई अतिशयोक्ति नहीं मानेगा. रणजी ट्रॉफी में मुंबई की तरफ से दिल्ली के खिलाफ मंगलवार को फिर उनके बल्ले से शतक निकला. इस शतक को लगाते ही दो वाकये सामने आए. एक तो खुद सरफराज मुट्ठी भींचते हुए पवेलियन की तरफ दहाड़ मारते हुए दिखे और दूसरा वाकया ठीक उसी समय दिखा जब पवेलियन में बैठे मुंबई को कोच अमोल मजूमदार अपना पनामा कैप उतारकर इस शतक का अभिवादन करते नजर आए.
मैदान पर जो हुआ वो सामान्य नहीं था!
दरअसल, ना तो सरफराज खान का यह शतक ही सामान्य था और ना ही अमोल मजूमदार की तरफ से किया गया यह अभिवादन सामान्य था. रणजी ट्रॉफी की पिछली 23 पारियों में सरफराज का यह 10वां शतक था. क्रिकेट के गलियारों में इन दिनों वैसे तो सरफराज के बारे में तो वैसे खूब चर्चा है लेकिन कभी ऐसी ही चर्चा अमोल मजूमदार के लिए भी हुआ करती थी और एक दो साल नहीं बल्कि दशकों तक अमोल मजूमदार वो खिलाड़ी बने रहे जो घरेलू क्रिकेट में रनों का अंबार लगाते रहे लेकिन कभी राष्ट्रीय टीम के लिए नहीं खेल सके.
सरफराज खान की दहाड़ में छिपा दर्द!
इसलिए अमोल मजूमदार का यह अभिवादन बहुत कुछ कह रहा है मानों वे उस दर्द को महसूस कर रहे हैं जो दर्द सरफराज खान के इस दहाड़ में छिपी है. अमोल मजूमदार इस समय मुंबई के कोच हैं. मजूमदार करियर पर अगर नजर डालें तो मजूमदार ने अपने क्रिकेट करियर में 171 प्रथम श्रेणी के मैच खेले हैं. साल 1994 में मुंबई की टीम से प्रथम श्रेणी डेब्यू करने वाले मजूमदार ने अपने 20 साल लंबे करियर में 171 प्रथम श्रेणी मैचों में 48.13 की औसत से 11167 रन बनाए हैं. मजूमदार 2006-07 में मुंबई रणजी टीम की कप्तानी भी कर चुके हैं और खिताब भी जिताया था.