Shiv Shastri Balboa Public Review: पिछले कुछ वर्षों से हिंदी सिनेमा के कंटेंट में तेजी से बदलाव आया है. एक वक्त केवल रोमांटिक और एक्शन फिल्मे बनाने वाले बॉलीवुड में अब कई सामाजिक विषयों पर भी फिल्में बनने लगी हैं. इस कड़ी में सीनियर सिटीजन की जिंदगी पर भी कई फिल्में बनाई जा चुकी हैं. ‘सारांश’, ‘आंखों देखी’, ‘पीकू’, ‘मुक्ति भवन’, ‘चीनी कम’, ‘पा’, ‘102 नॉटआउट’ और ‘ऊंचाई’ जैसी फिल्में इसकी प्रमुख उदाहरण हैं. इन फिल्मों में बुजुर्गों के जीवन से जुड़ी अलग-अलग कहानियां दिखाई गई हैं. इस फेहरिस्त में एक नई फिल्म ‘शिव शास्त्री बलबोआ’ 10 फरवरी को सिनेमाघरों में रिलीज हुई है. अजय वेणुगोपालन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में अनुपम खेर, नीना गुप्ता, शारिब हाशमी, जुगल हंसराज और नरगिस फाखरी अहम किरदारों में हैं.
“आज से पहले मैं सिर्फ जिंदा था अब मैं जिंदगी जीने लगा हूं”…फिल्म ‘शिव शास्त्री बलबोआ’ का ये डायलॉग इसकी कहानी का सार बता रहा है. इस फिल्म के जरिए अजय वेणुगोपालन ने ये बताने की कोशिश की है जिंदगी कभी खत्म नहीं होती है. हमें जब भी लगता है कि सबकुछ खत्म हो गया, तो समझिए कि वहां से एक नई शुरूआत होने वाली है. जरूर बस एक नजरिए की होती है. मायने ये रखता है कि हम अपनी जिंदगी को किस नजरिए से देखते हैं. कैसे खुद को री-डिस्कवर करते हैं. इतना ही नहीं इसमें अकेलेपन, रंगभेद, सांस्कृतिक बिखराव, विदेशों में घरेलू सहायकों की स्थिति और उम्र के उत्तरार्ध में समाज के बनाए नियमों के मुताबिक जीवन जीने का दबाव, जैसे कई अहम मुद्दों को बहुत बारीकी से पेश किया गया है.
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एक वक्त था जब फिल्में स्टार पावर की वजह से चलती थी. कोई सपने भी नहीं सोच सकता था कि चरित्र अभिनेता कभी लीड रोल कर सकता है. लेकिन बदलते वक्त के साथ सिनेमा बदला है, तो फिल्म मेकर्स की सोच भी बदली है. यही वजह है कि इस फिल्म में अनुपम खेर और नीना गुप्ता को लीड रोल में लिया गया है. उससे भी बड़ी बात इस फिल्म को ओटीटी की बजाए सिनेमाघरों में रिलीज किया गया है.
अनुपम खेर और नीना गुप्ता ने भी फिल्म के मेकर्स के साथ दर्शकों को निराश नहीं किया है. अपनी दमदार अदाकारी के जरिए उन्होंने फिल्म की बेहतरीन कहानी में चार चांद लगा दिए हैं. अनुपम खेर ने साबित कर दिया है कि वो बहुमुखी प्रतिभा के धनी है. फिल्म में किरदार जैसा भी हो वो उसमें जान डालने का मादा रखते हैं.