प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के मोरबी पहुंचने से पहले ही एक कंपनी के बोर्ड पर शीट डालकर उसे ढक दिया गया। कंपनी पर गंभीर आरोप लगे हैं। इसका नाम ओरेवा ग्रुप है। प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को गुजरात के मोरबी जिले की उस जगह पर पहुंचे जहां पुल गिरा था। अधिकारियों ने प्रधानमंत्री मोदी को पुल टूटने के बाद चलाए जा रहे बचाव अभियान के बारे में जानकारी दी। इस दौरान पुल के पास में लगे ओरेवा ग्रुप के बोर्ड को एक सफेद शीट से ढक दिया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मोरबी पहुंचने से पहले ही एक कंपनी के बोर्ड पर शीट डालकर उसे ढक दिया गया। कंपनी पर गंभीर आरोप लगे हैं। इसका नाम ओरेवा ग्रुप है। प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को गुजरात के मोरबी जिले की उस जगह पर पहुंचे जहां पुल गिरा था। अधिकारियों ने प्रधानमंत्री मोदी को पुल टूटने के बाद चलाए जा रहे बचाव अभियान के बारे में जानकारी दी। इस दौरान पुल के पास में लगे ओरेवा ग्रुप के बोर्ड को एक सफेद शीट से ढक दिया गया।
पुलिस ने मच्छु नदी पर तारों का पुल टूटने के मामले में सोमवार को ओरेवा समूह के चार कर्मियों समेत नौ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। ब्रिटिश काल के दौरान बने इस पुल के रख-रखाव और संचालन का ठेका ओरेवा समूह को मिला था। मोरबी नगर निगम ने शहर के ही घड़ियां और ई-बाइक बनाने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप को मच्छु नदी पर बने शताब्दी पुराने तारों से बने पुल की मरम्मत का काम सौंपा था।
नगर निगम के सोमवार को मिले दस्तावेजों के अनुसार, ओरेवा ग्रुप को 15 साल तक पुल की मरम्मत करने, उसका संचालन करने और 10 से 15 रुपये प्रति टिकट मूल्य पर टिकट बेचने की अनुमति थी। आजादी से पहले मोरबी के शासक बाघजी ठाकुर द्वारा 1887 में बनवाए गए इस केबल पुल को मरम्मत पूरी होने के बाद 26 अक्टूबर को मीडिया के सामने ओरेवा ग्रुप के जययसुख पटेल और उनके परिवार ने जनता के लिए खोल दिया।
पुल टूटने के बाद मोरबी नगर निगम के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह जाला ने दावा किया कि मरम्मत करने वाली कंपनी ने पुल को जनता के लिए खोलने से पहले निगम से ‘अनुमति’ प्रमाणपत्र नहीं लिया था।