रूस में तख्तापलट की कोशिश में मॉस्को की तरफ कूच करने वाली वैगरन की सेना का जोश ठंडा पड़ गया है। 23 वर्षों में अपने नेतृत्व की सबसे बड़ी परीक्षा में सफल रहे पुतिन वैगनर समूह के खतरे से फिलहाल दूर हैं। वैगरन की सेना के आत्मसमर्पण करने के बाद पुतिन ने राहत की सांस ली होगी। मगर पुतिन के खिलाफ वैगनर विद्रोह यूक्रेन के खेमे में खुशी लेकर आया है। येवगेनी प्रिगोझिन के भाड़े की सैनिकों की कार्रवाई रूस के लिए एक सबक है। जिस परिस्थिति में वैगनर की सेना मॉस्को की तरफ कूच कर चुकी थी उस दौरान पुतिन की स्थिति आगे कुआं पीछे खाई जैसी थी।
बीते एक साल से भी ज्यादा वक्त से यूक्रेन के साथ युद्ध ने रूस के आत्मविश्वास को डगमगाया तो जरूर होगा। ऐसे में वैगनर की सेना की कार्रवाई ने पुतिन की टेंशन बढ़ा दी है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भाड़े के सैनिकों ने एक सशस्त्र घटना के दौरान रोस्तोव-ऑन-डॉन में प्रमुख सैन्य स्थलों पर नियंत्रण कर लिया, जिसमें कम से कम 13 पायलट मारे गए।
हालांकि, वैगनर समूह के प्रमुख, येवगेनी प्रिगोझिन और उनके लड़ाकों ने मॉस्को पहुंचने से पहले वापस लौटने का फैसला किया और बेलारूसी नेता अलेक्जेंडर लुकाशेंको की सहायता से एक समझौता किया – जिसके तहत प्रिगोझिन के खिलाफ आरोप हटा दिए गए और बदले में उन्हें देश छोड़ना पड़ा।
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प्रिगोझिन से जुड़ा एक निजी जेट मंगलवार सुबह बेलारूस की राजधानी मिन्स्क पहुंचा। लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि वैगनर प्रमुख जहाज पर थे या नहीं, और क्रेमलिन ने कहा है कि उसे उनके ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं है। प्रिगोझिन ने विफल विद्रोह के बाद सोमवार को पहली बार 11 मिनट का एक ऑडियो बयान जारी करते हुए बात की, जिसमें उन्होंने कहा कि मार्च रूसी रॉकेट हमले के संबंध में एक प्रतिशोध था जिसमें उनके 30 लड़ाके मारे गए थे। स्काई न्यूज के अनुवाद के अनुसार, प्रिगोझिन ने कहा कि हमने अन्याय के कारण अपना मार्च शुरू किया।