काठमांडू जिला अदालत ने गुरुवार को एक समलैंगिक जोड़े द्वारा दायर विवाह पंजीकरण आवेदन को खारिज कर दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट नेपाल में समलैंगिक विवाह को वैध ठहरा चुकी है। ऐसे में जिला अदालत द्वारा समलैंगिक जोड़े के आवेदन को खारिज करने का फैसला हैरान करने वाला है।
बता दें कि 38 वर्षीय माया गुरुंग और 27 साल के सुरेंद्र पांडे ने हाल ही में अपनी शादी को पंजीकृत करने के लिए अदालत से मंजूरी मांगी थी। हालांकि, जिला अदालत के न्यायाधीश माधव प्रसाद मैनाली की एकल पीठ ने इसे खारिज कर दिया। न्यायाधीश का कहना है कि आवेदन में दोनों आवेदक एक ही लिंग के हैं।
आवेदन खारिज करना दुर्भाग्यपूर्ण
मामले में समलैंगिक समुदाय के एक प्रमुख कार्यकर्ता सुनील बाबू पेंटा ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को पंजीकृत करने के लिए एक अंतरिम आदेश जारी किया है। इसके बावजूद काठमांडू जिला न्यायालय ने समलैंगिक समुदाय के सदस्यों के आवेदन को खारिज कर दिया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।’
अदालत का फैसला समलैंगिक समुदाय के लिए झटका
उन्होंने कहा, ‘अदालत की कार्रवाई न केवल समलैंगिक समुदाय के लिए झटका है, बल्कि इसने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी अपमान किया है। पेंटा ने कहा, ‘हालांकि अदालत के पूर्वाग्रह पूर्ण फैसले ने हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, लेकिन हम इसे हार नहीं मानते हैं। हम अपने घावों पर मरहम लगाने के लिए जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।’
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सुप्रीम कोर्ट वैध करार दिया समलैंगिक विवाह
बता दें कि नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने 28 जून को समलैंगिक विवाह को वैध करार दिया था। हालांकि, अभी तक समलैंगिक विवाहों के पंजीकरण के लिए कानून नहीं बनाया गया है। इतना ही नहीं शीर्ष अदालत ने एक अंतरिम आदेश पारित कर अधिकारियों से कानून बनाने से पहले समलैंगिक विवाहों को पंजीकृत करने के लिए अस्थायी व्यवस्था करने को कहा था।