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  • November 22, 2024
  • Last Update November 16, 2024 2:33 pm
  • Noida

‘शिवसेना का दफ्तर अब हमारा है’, चुनाव आयोग में जीत के बाद शिंदे गुट के विधायकों ने की सौंपने की मांग

‘शिवसेना का दफ्तर अब हमारा है’, चुनाव आयोग में जीत के बाद शिंदे गुट के विधायकों ने की सौंपने की मांग

शिवसेना (शिंदे गुट) के मुख्य सचेतक भरत गोगावाले अन्य विधायकों के साथ विधान भवन पहुंचे, राज्य विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से मिलने की संभावना है, जो विधान भवन में शिवसेना विधायक दल के कार्यालय को सौंपने की मांग कर रहे हैं। भरत गोगावाले ने कहा कि हमने स्पीकर को नोटिस दिया है। हम ईसीआई के आदेश का पालन कर रहे हैं। आगे कैसे बढ़ना है, इस पर हम विचार करेंगे। चूंकि ईसीआई ने हमें शिवसेना के रूप में मान्यता दी है, इसलिए यह कार्यालय अब हमारा है।

बता दें कि भारत निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए शिवसेना के साथ चुनाव चिह्न तीर और कमान शिंदे गुट को सौंप दिया था जिसके बाद सियासत गरमा गई। बता दें कि शिवसेना के दोनों धड़े (एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे) पिछले साल शिंदे (महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री) द्वारा ठाकरे के खिलाफ विद्रोह करने के बाद से पार्टी के तीर-कमान के चुनाव चिह्न के लिए लड़ रहे हैं।

आयोग (ईसीआई) ने कहा था कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है। बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक मंडली के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त किया गया है। इस तरह की पार्टी संरचनाएं भरोसा पैदा करने में विफल रहती हैं।

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चुनाव आयोग ने पाया कि 2018 में संशोधित शिवसेना का संविधान भारत के चुनाव आयोग को नहीं दिया गया। 1999 के पार्टी संविधान में लोकतांत्रिक मानदंडों को पेश करने के अधिनियम को संशोधनों ने रद्द कर दिया था, जिसे आयोग के आग्रह पर दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा लाया गया था। आयोग ने यह भी कहा कि शिवसेना के मूल संविधान के अलोकतांत्रिक मानदंड, जिन्हें 1999 में आयोग द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था, को गोपनीय तरीके से वापस लाया गया, जिससे पार्टी एक जागीर के समान हो गई।

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