यूक्रेन में जंग का आगाज करके रूस बुरी तरफ फंस गया है। कई रिपोर्टों में यह कहा गया है कि खुद राष्ट्रपति पुतिन को इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह युद्ध इतना लंबा चलेगा और रूस को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। हालांकि, इस युद्ध ने चीन को ताइवान मसले पर सोचने के लिए मबजूर कर दिया है।
सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स ने कहा कि यूक्रेन में रूस के अनुभव के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके सैन्य नेतृत्व को ताइवान पर आक्रमण करने की उनकी क्षमता पर संदेह है। रविवार को एक टेलीविजन साक्षात्कार में शीर्ष अमेरिकी खुफिया अधिकारी ने जोर देकर कहा कि अमेरिका को ताइवान पर नियंत्रण की चीनी महत्वाकांक्षाओं को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसका सीधा मतलब सैन्य संघर्ष नहीं है।
चीन का क्या है 2027 प्लान?
सीआईए चीफ ने कहा, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीनी सेना को 2027 तक ताइवान पर आक्रमण करने के लिए तैयार रहने के लिए कहा है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि चीन ने ताइवान पर 2027 या किसी अन्य वर्ष में सैन्य आक्रमण करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, यूक्रेन में रूस का हाल देखकर चीनी राष्ट्रपति को संदेह है कि क्या वे ताइवान में अपने आक्रमण को पूरा कर सकते हैं।
चीन-ताइवान के बीच विवाद क्या है?
ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से करीब 100 मील दूर स्थिति एक द्वीप है। ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है। उसका अपना संविधान है। ताइवान में लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार है। वहीं चीन की कम्युनिस्ट सरकार ताइवान को अपने देश का हिस्सा बताती है। चीन इस द्वीप को फिर से अपने नियंत्रण में लेना चाहता है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान और चीन के पुन: एकीकरण की जोरदार वकालत करते हैं। ऐतिहासिक रूप से से देखें तो ताइवान कभी चीन का ही हिस्सा था।