nitish kumar caste politics: बिहार में जातीय गणना की प्रक्रिया आज यानी 7 जनवरी से शुरू हो गई है। जिसको लेकर नीतीश सरकार और प्रशासन ने खास तैयारी की है। ये पूरी प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होगी। पहले चरण में राज्य के सभी मकानों की संख्या गिनी जाएगी। और फिर दूसरे चरण यानी मार्च से सभी जातियों, धर्मों के लोगों से संबंधित आंकड़े जुटाए जाएंगे। ये पूरी प्रक्रिया मई 2023 तक पूरी हो जाएगी।
जातीय गणना की प्रक्रिया में खर्च होंगे 500 करोड़
बिहार में हो रही जातीय जनगणना का पूरा खर्च राज्य सरकार खुद उठाएगी। एक अनुमान के मुताबिक इसमें 500 करोड़ रूपये खर्च होंगे। राज्य सरकार ने इसके लिए अपने आकस्मिक कोष से पूरा खर्च करेगी। सर्वे के लिए सामान्य प्रशासन डिपार्टमेंट को नोडल विभाग बनाया गया है। और करीब 2 लाख कर्मियों को ड्यूटी पर लगाया गया है।
APP के माध्यम से जुटाए जाएंगे आंकड़े
पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि सर्वे में पंचायत से जिला स्तर तक आंकड़ों को जुटाया जाएगा। इसे एक मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए डिजिटल रूप से एकत्र किया जाएगा। ऐप में जगह, जाति, परिवार में लोगों की संख्या, उनके पेशे और सालाना आय के बारे में सवाल होंगे। जातीय गणना कर्मियों में शिक्षक, आंगनवाड़ी, मनरेगा या जीविका कार्यकर्ता शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह कवायद पटना जिले के कुल 12,696 प्रखंडों में की जाएगी।
हर जाति की आर्थिक स्थिति का भी लगेगा पता
सीएम नीतीश कुमार ने जातीय गणना को लेकर कहा कि ये सर्वेक्षण न केवल राज्य की वर्तमान जनसंख्या की गणना करेगा बल्कि हर जाति की आर्थिक स्थिति का भी पता लगाएगा। इससे हमें यह जानने में मदद मिलेगी कि वंचित वर्गों के उत्थान के लिए क्या किया जाना चाहिए। हम सबका विकास चाहते हैं। इस प्रक्रिया में लगे कर्मचारियों को इस उद्देश्य के लिए ठीक से प्रशिक्षित किया गया है। सीएम ने कहा कि यह कवायद न केवल देश के विकास के लिए फायदेमंद साबित होगी बल्कि समाज के हर वर्ग का उत्थान करेगी।