गुजरात में सत्ता के लिए 182 सीटों पर हुए पिछले पांच विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ा है। केंद्रीय चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि गुजरात का चुनावी गणित NOTA निर्दलीय और अन्य दल बिगाड़ते हैं। पांच में से तीन विधानसभा चुनाव कांग्रेस उतने ही वोटों से हारी है जितना निर्दलीयों, दूसरे राष्ट्रीय दलों और गुजरात के स्थानीय दलों ने अपने नाम किया था।
आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2012, 2007 और 1998 के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच हार-जीत का अंतर 22,44,812, 24,30,523 और 16,23,440 वोट था। वहीं इसके सापेक्ष में निर्दलीयों, अन्य राष्ट्रीय और स्थानीय दलों ने 25,46,503, 25,61,457, 33,10,046 वोट अपने नाम किया था।
2017 में 5.51 लाख लोगों ने दबाया नोटा
आयोग के अनुसार 2017 के विधानसभा चुनाव में 5,51,594 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था। वहीं निर्दलीय, अन्य राष्ट्रीय दलों और स्थानीय दलों को कुल 17,79,838 वोट मिले थे। ये सभी वोट मिलाकर कुल 23,31,432 वोट होते हैं। वहीं इस चुनाव में कांग्रेस 22,86,370 वोटों से हारी थी। स्पष्ट है कांग्रेस जितने वोटों से हारी थी उससे 45,062 ज्यादा वोट निर्दलीयों, अन्य दलों और नोटा को मिले थे।
वोट का गणित बिगाड़ने में ये दल सबसे आगे
गुजरात के पिछले पांच विधानसभा चुनावों की बात करें तो बसपा, सीपीआई, सीपीएम और एनसीपी वोट काटने में सबसे आगे थे। इसी तरह स्थानीय दलों में जेडीएस, जेडीयू, एसएचएस और एसपी जैसे दल शामिल थे। 2017 के चुनाव में बसपा ने 139 उम्मीदवार उतारे थे। पार्टी को कुल 2,06,768 वोट मिले लेकिन एक भी उम्मीदवार जीत नहीं सका। 2002 के चुनाव में एनसीपी के 81 उम्मीदवारों को 3,49,021 वोट मिले पर जीत किसी को नसीब नहीं हुई थी।
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एआईआरजेपी ने बिगाड़ा कांग्रेस का वोट गणित
वर्ष 1998 के चुनाव में भाजपा 73,00,826 वोट लेकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। कांग्रेस 56,77,386 वोटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। इस चुनाव में कांग्रेस 16,23,440 वोटों से हारी थी। वहीं अकेले स्थानीय दल ऑल इंडिया राष्ट्रीय जनता पार्टी (एआईआरजेपी) ने कुल 19,02,171 वोट अपने नाम किया था। एआईआरजेपी ने कुल 168 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। इसमें से चार ही जीत सके थे जबकि 114 की जमानत जब्त हो गई थी।
दो चुनावों में हार का अंतर बढ़ गया
आंकड़ों के अनुसार कांग्रेस को पिछले पांच चुनावों में औसतन 21,49,278 कम वोट मिले हैं। कांग्रेस की हार को वोट प्रतिशक्ष में समझा जाए तो 2017 के चुनाव में भाजपा के मुकाबले उसे 8.06 फीसदी कम वोट मिले थे। इसी तरह 1998 और 2012 के चुनाव में वोट प्रतिशत का अंतर आठ से नौ फीसदी के बीच था। 2002 और 2007 का चुनाव केवल ऐसा था जब कांग्रेस भाजपा के हाथों दस से ग्यारह फीसदी वोटों के बड़े अंतर से चुनाव हारी थी।