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  • October 11, 2024
  • Last Update October 5, 2024 3:17 pm
  • Noida

Himachal Pradesh Assembly Election 2022: रिजल्ट से पहले ही CM पद के लिए रेस, हिमाचल कांग्रेस के नेता पहुंच रहे दिल्ली दरबार

Himachal Pradesh Assembly Election 2022: रिजल्ट से पहले ही CM पद के लिए रेस, हिमाचल कांग्रेस के नेता पहुंच रहे दिल्ली दरबार

Himachal Pradesh Assembly Election 2022: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बंपर वोटिंग से बड़ी उम्मीदें लगाए हुए और 8 दिसंबर को चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद सरकार बनाने की उम्मीद के साथ ही कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के दावेदार आलाकमान और केंद्रीय नेताओं से मिलने के लिए खुद की पैरवी करने के लिए दिल्ली की ओर दौड़ पड़े हैं।
मालूम हो कि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी मुख्यमंत्री पद के चेहरे के साथ चुनाव में उतरी थी, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ऐसा कुछ भी नहीं किया है।

इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ना पसंद किया। राजनीतिक सूत्रों का मानना है कि शीर्ष पद के दावेदारों के बीच आपसी कलह से बचने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने सामूहिक नेतृत्व का विकल्प चुना। वोटिंग के बाद कांग्रेस के नेता सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे हैं और अब दिल्ली की ओर दौड़ पड़े हैं। दिल्ली जाने वालों में कांग्रेस पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू और प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह शामिल हैं।

सूत्रों ने बताया कि कुछ और नेता भी हैं जो दिल्ली गए हैं। पूर्व में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह शीर्ष पद के लिए स्पष्ट पसंद हुआ करते थे, लेकिन अब उनके निधन के बाद हाईकमान को पहली बार कई उम्मीदवारों में से चयन करना होगा। दिल्ली में राज्य के नेता एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य से मुलाकात करेंगे और चुनावों के बारे में फीडबैक भी देंगे।

इस चुनाव में रिकॉर्ड मतदान ने कांग्रेस को बहुमत की सीटें जीतने की उम्मीद जगाई है क्योंकि पार्टी के नेताओं को लगता है कि भाजपा सरकार के खिलाफ गुस्से में बड़ी संख्या में लोग सरकार के खिलाफ मतदान करने के लिए बाहर आए और इसका सीधा फायदा कांग्रेस को होगा। हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनने की संभावनाओं के बीच कांग्रेस पार्टी में अब चर्चा मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर है। नतीजे आने से पहले ही दिल्ली से लेकर शिमला तक राजनीतिक कड़ियां जुड़ रही हैं।

सरकार का नेतृत्व करने के इच्छुक लोग पार्टी के आलाकमान और जीतने वाले अधिकांश विधायकों के समर्थन को जुटाने का रास्ता तलाश रहे हैं, जिसके लिए जीतने वाले उम्मीदवारों के साथ पहले से ही संपर्क स्थापित किए जा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के नेता मुख्यमंत्री पद की पैरवी करने के लिए दिल्ली दौड़ रहे हैं, भाजपा नेता दावा कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री पद के कई उम्मीदवार अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में तंग स्थिति में हैं और उनमें से कुछ चुनाव हार भी सकते हैं।

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ये नेताओं के बीच सीएम पद की रेस
बेशक कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू, ठाकुर कौल सिंह, आशा कुमारी, राम लाल ठाकुर और कर्नल धनीराम शांडिल आदि मुख्यमंत्री की रेस में शामिल बताए जा रहे है, लेकिन इनमें से एक-दो के चुनाव जीतने पर संशय बना हुआ है।

दिल्ली दरबार से होगा फायदा?
राजनीति विशेषज्ञों की बात मानें तो दिल्ली की दौड़ से नेताओं को कुछ फायदा नहीं होने वाला है। वोटिंग के बाद नतीजे के बाद ही कोई ठोस फैसला लिया जाएगा। विधायक दल का नेता से लेकर मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा? इत बात का फैसला पार्टी हाईकमान द्वारा भेजने वाले ऑब्जर्वर की रिपोर्ट पर तय किया जाएगा।

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