भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान पैट कमिंस की मां का निधन हो गया था। जिस कारण उन्हें दौरा बीच में ही छोड़ना पड़ा। सीरीज में ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से करारी शिकस्त मिली। कंगारुओं को सीरीज की पहली जीत स्मिथ की कप्तानी में नसीब हुई थी। ऑस्ट्रेलियाई मीडिया का एक वर्ग पैट कमिंस को हटाकर स्टीव स्मिथ को दोबारा टेस्ट कप्तानी सौंपने पर अड़ गया। IPL के दौरान कमिंस को चोट लगी और उन्हें वापस घर लौटना पड़ा। पैट कमिंस चाहते, तो दोबारा दुनिया की सबसे बड़ी लीग खेलने आ सकते थे। पर उन्होंने WTC फाइनल और एशेज सीरीज की तैयारी की खातिर करोड़ों रुपए और IPL छोड़ दिया।
WTC फाइनल की दोनों पारियों को मिलाकर कमिंस ने 4 विकेट चटकाए। ऑस्ट्रेलिया को चैंपियन बनाने के बाद वह मिशन एशेज में लग गए। इंग्लैंड ने पहले टेस्ट में टॉस जीतकर 8 विकेट के नुकसान पर 393 रन बनाकर पहली पारी घोषित कर दी। यहां से इंग्लैंड जीत का बड़ा दावेदार नजर आ रहा था। पैट कमिंस ने 14 ओवर में 4.2 की रनरेट से 59 रन दिए और उन्हें कोई सफलता नहीं मिली। कमिंस जानते थे एशेज में खराब प्रदर्शन उनकी कप्तानी छीन सकता है। आलोचक तैयार बैठे थे। पहली पारी में उस्मान ख्वाजा के शतक के बाद कमिंस ने 62 गेंद में 3 चौकों की मदद से 38 रन बनाए। उनकी इनिंग की बदौलत इंग्लैंड को सिर्फ 7 रनों की बढ़त मिली।
अगर ऑस्ट्रेलिया को वापसी करनी थी, तो दूसरी पारी में दमदार गेंदबाजी जरूरी थी। 18.2 ओवर में सिर्फ 63 रन देकर 4 विकेट चटकाते हुए पैट कमिंस ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी को लीड किया। बदले में कंगारुओं ने अंग्रेजों की दूसरी पारी को सिर्फ 273 पर समेट दिया। पर 281 के टारगेट के सामने ऑस्ट्रेलिया की भी दूसरी पारी लड़खड़ा गई।
जीत के लिए 54 रन बचे थे और ऑस्ट्रेलिया 8 विकेट गंवा चुका था। यहां से पैट कमिंस चट्टान की तरह डट गए। उन्होंने 73 गेंदों पर 4 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 44 रनों की नाबाद पारी खेली। नेथन लॉयन के साथ 55 रनों की साझेदारी बनाते हुए ऑस्ट्रेलिया को 2 विकेट से जीत दिला दी। पैट कमिंस ने इसे अपने टेस्ट करियर की सबसे बड़ी जीत करार दिया है। सही कहते हैं, जो मुश्किलों से लड़ता है वही जीत अपने नाम करता है।