दुनिया में इंसानों की आबादी अब 8 अरब के पार पहुंच गई है। 1950 में जिस संसार में इंसानों की संख्या 2.5 अरब ही थी, वह अब तीन गुने से भी ज्यादा हो गई है। यही नहीं संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि यह आंकड़ा 2086 तक 10.6 अरब तक जा सकता है। फिलहाल दुनिया की आबादी में चीन, भारत, पाकिस्तान, ब्राजील जैसे देशों का अहम योगदान है। लेकिन यह भी चिंता की बात है कि इतनी बड़ी आबादी को कैसे बेहतर जिंदगी मिलेगी और यदि आबादी पर तत्काल ब्रेक ही लग जाए तो भी असंतुलन का खतरा है।
ऐसा होने पर अगले कुछ दशकों में दुनिया में बुजुर्गों की आबादी बहुत अधिक होगी और वर्कफोर्स में बड़ी गिरावट आएगी। आइए जानते हैं, कैसे आबादी का असंतुलन दुनिया में पैदा करेगा समस्याएं…
एक तरफ दुनिया में आबादी बढ़ रही है तो वहीं दूसरी तरफ गैर-बराबरी में भी इजाफा हो रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 10 फीसदी अमीर लोगों के पास 76 पर्सेंट की संपदा है। इन लोगों के पास दुनिया की कुल कमाई का 52 फीसदी हिस्सा आता है। वहीं दुनिया के 50 फीसदी लोगों के पास महज 8.5 पर्सेंट की ही दौलत है, जबकि सबसे अमीर 10 फीसदी लोग 48 पर्सेंट कार्बन उत्सर्जन करते हैं।
वहीं इसका नुकसान गरीबों को उठाना पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक औसत अमेरिकी लोगों की कमाई अफ्रीकी लोगों के मुकाबले 16 गुना अधिक है। आज दुनिया की 71 फीसदी आबादी उन देशों में रहती है, जहां गैरबराबरी बहुत ज्यादा है। इन देशों में भारत भी शामिल है।
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दुनिया में आज भी 82 करोड़ लोग दो वक्त की रोटी भी नहीं जुटा पा रहे। यूक्रेन के युद्ध ने खाद्यान्न और ऊर्जा के संकट में और इजाफा कर दिया है। इसका सबसे ज्यादा असर विकासशील देशों पर ही पड़ रहा है। 1.4 करोड़ बच्चे ऐसे हैं, जो गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार हैं।
दुनिया भर में मरने वाले बच्चों में 45 फीसदी वे होते हैं, जो भूख और अन्य कारणों से मर जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2019 से 2022 के दौरान 15 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हो गए। भुखमरी का गरीबी से सीधा ताल्लुक है। 2021 के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भऱ में 69 करोड़ लोग यानी 9 फीसदी आबादी अत्यधिक गरीबी का शिकार है।