समाजवादी पार्टी के संस्थापक और तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे Mulayam Singh का सोमवार की सुबह 8:16 बजे गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। उन्हें यूरिन संक्रमण, ब्लड प्रेशर की दिक्कत और सांस लेने में तकलीफ थी। इलाज के दौरान उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। उन्हें दो अक्टूबर को मेदांता में भर्ती कराया गया था जहां सोमवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। नेताजी के निधन के बाद उनके चाहने वाले उन्हें अपने-अपने ढंग से याद कर रहे हैं। ऐसे ही 38 साल पुरानी इस घटना को भी लोग याद कर रहे हैं।
साल-1984 में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या ने पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया था। यही वो साल था जब प्रदेश और देश की राजनीति में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहे मुलायम सिंह यादव की भी हत्या की साजिश रच दी गई।
यही नहीं उस साजिश को अंजाम देने के लिए कुछ बाइक सवारों नेताजी की कार को निशाना भी बनाया था। उन्होंने मुलायम सिंह को लक्ष्य बनाकर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। गोलियों की तड़तड़ाहट के बीच अफवाह फैल गई कि मुलायम सिंह की हत्या हो गई है।
घटना के बारे में जानने वाले पुराने लोग बताते हैं कि मुलायम सिंह अपनी सभा खत्म कर मैनपुरी लौट रहे थे। इस दौरान उन पर फायरिंग हुई। बताते हैं कि करीब आधे घंटे तक मौके पर अफरातफरी का माहौल रहा।
अलविदा नेता जी! आडवाणी के विरोधी रहे Mulayam singh Yadav
इस दौरान किसी को समझ नहीं आया कि हुआ क्या है। घटना के बाद मुलायम सिंह के सुरक्षाकर्मी उन्हें लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचे। इस बीच उनके समर्थकों को भी पता चल गया था कि मुलायम सिंह बिल्कुल सुरक्षित हैं। पता चला कि मुलायम सिंह के साथ रहे पुलिसकर्मियों ने जवाबी फायरिंग की और हमला करने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया था।