प्रभास और कृति सेनन अभिनीत Aadipurush ने दर्शकों को निराश किया है। इस फ़िल्म के वीएफएक्स, किरदारों के लुक, कहानी के साथ छेड़छाड़ और टपोरी संवादों को लेकर जनता बेहद गुस्से में है। 18 जून को शाम 7 से 8 बजे के बीच हमें खबर मिलती है कि भिलाई के वेंकटेश्वर टॉकीज़ में बजरंगदल के कुछ लोग जाकर कथित रूप से थिएटर के मैनेजर के साथ मारपीट करते हैं। वे आदिपुरुष के शो को बंद कराने के लिए पोस्टर भी फाड़ते हैं और सिनेमाघर को नुकसान भी पहुंचाते हैं।
चलते शो से दर्शकों को बाहर निकालने का प्रयास
वे वेंकटेश्वर सिनेमाहॉल से पावर हाउस के नज़दीक स्थित न्यू बसंत सिनेमा जाकर भी चलते शो से दर्शकों को बाहर निकालने का प्रयास करते हैं। पोस्टरों को फाड़ देते हैं और डराने का प्रयास करते हैं। जितने भी लोगों से मैंने संपर्क किया है, लगभग सभी लोग फ़िल्म के कंटेंट से आहत हैं। लेकिन फ़िल्म के शो को बंद कराने के लिए सिनेमा हॉल के मालिकों के साथ गलत बर्ताव, तोड़-फोड़ आखिरकार भारत में कब रुकेगा?
दर्शकों और सिनेमाघरों के मालिकों का क्या दोष
जितने भी दल बनाकर बैठे हैं, उन्हें समझना होगा कि आदिपुरुष जैसी फिल्में सीबीएफसी से पास करने के बाद रिलीज हुई है। इसके प्रदर्शन में नियमानुसार सिनेमा कर्मचारियों द्वारा अपने कार्य का वहन किया जा रहा है। इसमें सिनेमा संचालक और सिनेमाहॉल कर्मचारियों का क्या दोष और फ़िल्म देखने पहुंचे दर्शकों की क्या गलती?
आपको सिनेमाघर के मालिकों पर गुस्सा दिखाने से अच्छा किसी सटीक मंच का इस्तेमाल करके फ़िल्म के मेकर्स से सवाल करना चाहिए। आप वैधानिक तरीके से अपना विरोध ज़ाहिर कीजिए। टीवी पर जा के इंटरव्यू में, संवादों को न समझ पाने के लिए जनता को मूर्ख कह रहे फ़िल्म के निर्देशक ओम राउत और लेखक मनोज मुंतशिर को ईंट का जवाब पत्थर से दीजिए।
विरोध के बाद सीन हटाया गया
न्यू वसंत सिनेमा भिलाई के मैनेजर अनिल गेडाम ने बताया है, “फ़िल्म आदिपुरुष फिर से विवादित कांट-छाट के बाद लोड ऑनलाइन UFO मुंबई से चालू है। आज से हमारे यहाँ न्यू अपडेट में फ़िल्म चलाएंगे ताकि किसी भी प्रकार से विरोध ना हो और विरोधी संगठन और दर्शोकों की भावना का ख्याल रखते हुए हमारे और फ़िल्म प्रोड्यूसर के तरफ से आपत्तिजनक डायलॉग और सीन तुरंत हटाया जा रहा है।”
दर्शकों को कोई भी फिल्म देखने का अधिकार है
खराब फ़िल्म के प्रदर्शन को लेकर सिनेमाहॉल में तोड़फोड़ कई सालों से चल रहा है। पद्मावत के विरोध में कई दलों ने क्या कुछ नहीं किया था। दर्शकों को अपनी मर्ज़ी से फ़िल्म देखने का अधिकार और आज़ादी है। वैसे भी दर्शक बेहद चतुर हो गए हैं। पिछले दो सालों में उन्होंने जिस तरीके से खराब कंटेंट को नकारा है इससे साफ़ है कि इन दर्शकों को अब दलों के ऊपर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं है। बॉयकॉट पठान कई महीनों तक ट्रेंड करता रहा लेकिन जैसे ही फ़िल्म रिलीज हुई पूरा पासा पलट गया।
सोनम कपूर ने रोमांचक क्राइम ड्रामा ‘Blind’ के साथ अपना डिजिटल डेब्यू किया
मेकर्स कहते हैं कि आदिपुरुष को रामायण से प्रेरित होकर बनाया गया है। ऐसा लगता है कि इस फ़िल्म को इरादतन हिन्दू भावनाओं का लाभ उठाकर पैसा कमाने के लिए बनाया गया है। पूरी फिल्म में निर्देशक का डेडिकेशन नहीं दिखता। ग्रीन पर्दे के बजाय सेट तैयार किया जा सकता था। फ़िल्म समीक्षक जेपी चौकसे साहब कहा करते थे कि महात्मा गाँधी पर जैसा काम रिचर्ड एटनबरो ने किया है वैसा काम कोई भारतीय फिल्मकार शायद ही कर सकता है। रामायण पर ओम राउत से अच्छा काम जापानी फिल्मकार युगों साको ने किया है। रामायण को आधुनिक बनाने के नाम पर ओम राउत ने मज़ाक किया है।